Friday 11 March 2011

Akelapan...

Bheed mein rah kar bhi koi akela rahta hai,
 lakhon ke beech bhi koi tanha rahta hai,
yeh zaruri toh nahin kee har milne waale se dil lage,
Chand baatein karne lene se nahin koi apna hota hai..
         Aksar akelepan mein ham yeh sochte hain, kuch toh ismein bhi khaas hai, jab sirf khamoshi hai, kuch bhi nahin paas hai, na koi kuch poochne waala aur na koi apnee sunane waala..Lekin phir bhi yeh dil aur dimaag daudta rahta hai, kuch guzre huwe lamhon ko yaad karta hai..woh guzre lamhe hamesha ek tees de jaate hain.. Kisse shayar ne kya khoob kaha hai...








3 comments:

  1. " कदमों की आहट में सूखे पत्तों की आवाजें भी ; रात गए कुच्छ यूँ आती हैं यादों की आवाजें भी !
    सोच रहा हूँ मैं अपनी तन्हाई किसके नाम करूँ ; होठों की ख़ामोशी भी है आँखों की आवाजें भी !
    अब ये कैसा सन्नाटा है मुस्तकबिल से माजी तक ; साफ़ सुनाई देने लगी हैं लम्हों की आवाजें भी !
    उस पत्थर से बातें करना कितना मुश्किल होता है ; जिसके अन्दर गूँज रही हों साँसों की आवाजें भी !
    बेदारी का खौफ इन्हें कब बाहर आने देता है ; आँखों में ही रह जातीं हैं ख़्वाबों की आवाजें भी !!! "

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  2. अक्सर इस ज़िन्दगी में यह महसूस किया है कि ताल्लुक बहुत लोगों से हो सकता है पर दिल से दिल बहुत कम लोगों से मिलता है .........हम में से ज़्यादातर लोग इसीलिए महफिलों में भी तनहा रहते हैं.......
    तन्हाई का आलम भी अलग ही लुत्फ़ देता है...........कितना कुछ सोचने को मिलता है .......कितना कुछ याद आता है ...........पर,कभी-कभी तन्हाई काटने को भी दौड़ती है ..खासतौर से तब,जब किसी से मिलने कि ख्वहाइश में दिल बेचैन हो.....

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  3. शहाब ! ....मैंने अक्सर अपनी तन्हाइयों से बातें की हैं ! ज़िंदगी के हर मुकाम पर इनका ही सहारा लिया है !.....क्योंकि ज़िन्दगी के हर हर कदम पर.....हर मोड़ पर ...एक यहीं तो हैं जो साथ चलीं हैं !......जिन जिन से अप्नाइयतों की उम्मीद थी ; उनसे तो सिर्फ बेदिली मिली ...... हमने अपनी सभी ख्वाहिशें....सभी ज़ज्बात ....अपनी खामोशियों में दफ़न कर लिये .........और अब ये आलम है..........की हम अपनी इस खला में जीना सीख गए हैं.....ये तन्हाईयाँ अब हमारी तलवार भी हैं.....हमारी ढाल भी !!!.........हमारी वहशत भी हैं.........हमारा सुकून भी !!!......दुश्मनें-जाँ भी हैं...... राहते - जाँ भी !!!

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