कुछ और भी हैं मेरी ज़िन्दगी की तसवीरें , मैं वो नहीं हूँ , जो मेरे दोस्तों ने समझा है .
" मैं इक किरदार की सूरत कई परतों में जीता हूँ ; मेरी बेचारगी का इक चेहरा रोज़ होता है !!! "
" कितनी यादों ने बेवक्त किया दिल पे हुजूम ; ज़ख्म महके तो कई दर्द पुराने जागे !!! " ........ मुमताज़ मिर्ज़ा
मैं इक किरदार की सूरत कई परतों में जीता हूँ ; मेरी बेचेहेरगी का इक चेहरा रोज़ होता है !!! " 10 March 2011 11:01
" मैं इक किरदार की सूरत कई परतों में जीता हूँ ;
ReplyDeleteमेरी बेचारगी का इक चेहरा रोज़ होता है !!! "
" कितनी यादों ने बेवक्त किया दिल पे हुजूम ;
ReplyDeleteज़ख्म महके तो कई दर्द पुराने जागे !!! "
........ मुमताज़ मिर्ज़ा
मैं इक किरदार की सूरत कई परतों में जीता हूँ ;
ReplyDeleteमेरी बेचेहेरगी का इक चेहरा रोज़ होता है !!! "
10 March 2011 11:01