Monday 7 March 2011

तन्हाई

हर  इंसान  की  ज़िन्दगी  में  दो  तरह  के  पल  आते  हैं , एक  वह  जो  उसे  इतनी   खुशियाँ  दे  जाते  हैं  और  दुसरे  वो  जो  न  चाहते  हुए  भी  उसकी  ज़िन्दगी  को  ग़मों  से  घेर  देते  हैं , मगर  इंसान  खुशियाँ  बहुत  जल्दी  भूल  जाता  है  और  वो गम  उसके  साथ  हमेशा  उसका  पीछा  करते   हैं ... अकेलापन  और  तन्हाई  के  आलम  में  भी  वो उसे  कभी  तन्हा  नहीं  रहने  देते  हैं ... इसलिए  ख़ुशी  से  ज्यादा  मज़बूत  रिश्ता  ग़मों  का  होता  है , क्यूंकि  वो  तन्हाई में  भी  साथ  नहीं  छोड़ते  हैं .. 

4 comments:

  1. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है....यही साम्य हंसी और आंसुओं में भी है.......हंसी केवल ख़ुशी में साथ निभाती है जबकि अश्क बहुत ख़ुशी हो तब भी आँखें भिगो देते हैं और दुःख में तो हमेशा साथ रहते ही है.........

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  2. " सभी में ज़ब्त का यारां यहाँ इतना नहीं रहता ; समंदर की तरह हर आदमी गहरा नहीं रहता !!!
    कभी हम लाख रोकें फिर भी रुकते ही नहीं आंसू ; हमेशा साहिलों के बस में ये दरया नहीं रहता !!!
    कभी इस आईने में सैकड़ों शक्लें उभरतीं हैं ; कभी इस आइने में एक भी चेहरा नहीं होता !!!
    मैं जब प्यासा नहीं होता तो हर बादल बरसता है ; मुझे जब प्यास लगती है तो इक कतरा नहीं रहता !!!
    किसी का रंग फीका है किसी की ताब झूठी है ; सुखन के मोतियों में हर कोई सच्चा नहीं होता !!!! "
    ........ भारतभूषण पन्त

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  3. Mohammad Shahabuddin8 March 2011 at 11:46

    शुक्रिया निधि...जीवन के हर पहलू को तुमने जितने करीब से और हर भावना को समझा है, उसका कोई सानी नहीं है

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  4. Mohammad Shahabuddin8 March 2011 at 11:59

    अर्चना दीदी: गम से कहीं नजात मिले चैन पायें हम
    दिल खून में नहाये तो गंगा नहायें हम

    जन्नत में जाएँ हम की जहन्नुम में जाएँ हम
    मिल जाए तू कहीं न कहीं तुझ को पायें हम
    ये जान तुम न लोगे अगर आप जाएगी
    इस बेवफा की खैर कहाँ तक मनाएं हम

    हम -साये जागते रहे नालों से रात भर
    सोये हुए नसीब को क्यों कर जगाएं हम.. दाग देहलवी

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